SURENDRA GUNPAL
राजस्थान की लोकदेवीयां
नाम देवी | स्थान | विवरण |
---|---|---|
करणी माता | देशनोक बीकानेर | चूहों वाली देवी के नाम से प्रसिद्ध |
जीण माता | सीकर | चौहान वंश की आराध्य देवी |
शीलादेवी | आमेर | कछवाहा वंश की आराध्य देवी |
जमुवाय माता | जमुवारामगढ़ | ढुन्ढाढ़ के कछवाहा राजवंश की कुलदेवी |
आवड माता | जैसलमेर | बहती राजवंश की कुलदेवी |
नागणेची | जोधपुर | राठोड़ों की कुलदेवी |
बाण माता | उदयपुर | सिसोदिया राजवंश की कुलदेवी |
सच्चिया माता | ओसियां जोधपुर | ओसवालों की कुलदेवी |
आशापुरी या महोदरी माता | मोदरा जालोर | जालौर के सोनगरा चौहानों की कुलदेवी |
शाकम्भरी देवी | सांभर | चौहानों की कुल देवी |
ज्वाला माता | जोबनेर | खंगारोतों की कुलदेवी |
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राजस्थान के प्रमुख संत संप्रदाय
पंथ या संप्रदाय प्रवर्तक संत प्रमुख पीठ जसनाथी संप्रदाय जसनाथ जी कतरियासर बीकानेर विश्नोई संप्रदाय जाम्भोजी मुकाम तालवा नोखा बीकानेर दादू संप्रदाय संत दादू जी नारायणा जयपुर लालदासी संप्रदाय संत लालदास जी शेरपुर धोलीदूब चरणदासी संप्रदाय चरणदास जी दिल्ली रामस्नेही संप्रदाय संत रामचरण जी शाहपुरा रामस्नेही संप्रदाय संत दरियाव जी रैण मेड़ता नागौर रामस्नेही संप्रदाय
पंथ या संप्रदाय | प्रवर्तक संत | प्रमुख पीठ |
---|---|---|
जसनाथी संप्रदाय | जसनाथ जी | कतरियासर बीकानेर |
विश्नोई संप्रदाय | जाम्भोजी | मुकाम तालवा नोखा बीकानेर |
दादू संप्रदाय | संत दादू जी | नारायणा जयपुर |
लालदासी संप्रदाय | संत लालदास जी | शेरपुर धोलीदूब |
चरणदासी संप्रदाय | चरणदास जी | दिल्ली |
रामस्नेही संप्रदाय | संत रामचरण जी | शाहपुरा |
रामस्नेही संप्रदाय | संत दरियाव जी | रैण मेड़ता नागौर |
रामस्नेही संप्रदाय | संत हरिरामदास जी | सिंह्थल बीकानेर |
रामस्नेही संप्रदाय | संत रामदास जी | खेड़ापा जोधपुर |
निरंजनी संप्रदाय | संत हरिदास जी | गाढ़ा डीडवाना नागौर |
रामानंदी संप्रदाय | संत श्री कृष्ण दास जी | पयहारी गलत जी जयपुर |
रामानंदी संप्रदाय | अग्रदास जी रसिक संप्रदाय | रैवासा सीकर |
निम्बार्क संप्रदाय | आचार्य निम्बार्क | सलेमाबाद अजमेर |
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सुरेन्द्र गुणपाल
राजस्थान में मंदिर
१. सोरसन (बारां) का ब्रह्माणी माता का मंदिर- यहाँ देवी की पीठ का श्रृंगार होता है. पीठ की ही पूजा होती है !
२. चाकसू(जयपुर) का शीतला माता का मंदिर- खंडित मूर्ती की पूजा समान्यतया नहीं होती है, पर शीतला माता(चेचक की देवी) की पूजा खंडित रूप में होती है !
३. बीकानेर का हेराम्ब का मंदिर- आपने गणेश जी को चूहों की सवारी करते देखा होगा पर यहाँ वे सिंह की सवारी करते हैं !
४. रणथम्भोर( सवाई माधोपुर) का गणेश मंदिर- शिवजी के तीसरे नेत्र से तो हम परिचित हैं लेकिन यहाँ गणेश जी त्रिनेत्र हैं ! उनकी भी तीसरी आँख है.
५. चांदखेडी (झालावाड) का जैन मंदिर- मंदिर भी कभी नकली होता है ? यहाँ प्रथम तल पर महावीर भगवान् का नकली मंदिर है, जिसमें दुश्मनों के डर से प्राण प्रतिष्ठा नहीं की गई. असली मंदिर जमीन के भीतर है !
६. रणकपुर का जैन मंदिर- इस मंदिर के 1444 खम्भों की कारीगरी शानदार है. कमाल यह है कि किसी भी खम्भे पर किया गया काम अन्य खम्भे के काम से नहीं मिलता ! और दूसरा कमाल यह कि इतने खम्भों के जंगल में भी आप कहीं से भी ऋषभ देव जी के दर्शन कर सकते हैं, कोई खम्भा बीच में नहीं आएगा.
७. गोगामेडी( हनुमानगढ़) का गोगाजी का मंदिर- यहाँ के पुजारी मुस्लिम हैं ! कमाल है कि उनको अभी तक काफिर नहीं कहा गया और न ही फतवा जारी हुआ है !
८. नाथद्वारा का श्रीनाथ जी का मंदिर - चौंक जायेंगे. श्रीनाथ जी का श्रृंगार जो विख्यात है, कौन करता है ? एक मुस्लिम परिवार करता है ! पीढ़ियों से. कहते हैं कि इनके पूर्वज श्रीनाथजी की मूर्ति के साथ ही आये थे.
९. मेड़ता का चारभुजा मंदिर - सदियों से सुबह का पहला भोग यहाँ के एक मोची परिवार का लगता है ! ऊंच नीच क्या होती है ?
१०. डूंगरपुर का देव सोमनाथ मंदिर- बाहरवीं शताब्दी के इस अद्भुत मंदिर में पत्थरों को जोड़ने के लिए सीमेंट या गारे का उपयोग नहीं किया गया है ! केवल पत्थर को पत्थर में फंसाया गया है.
११. बिलाडा(जोधपुर) की आईजी की दरगाह - नहीं जनाब, यह दरगाह नहीं है ! यह आईजी का मंदिर है, जो बाबा रामदेव की शिष्या थीं और सीरवियों की कुलदेवी हैं.
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राजस्थान सामान्य ज्ञान
1.जयपुर को नौ वगों के सिद्धांत पर बसाने वाला महान शिल्पकार कौन था
विद्याधर
2.सवाई जयसिंह के कल्पनानुसार जयपुर शहर की नींव रखी गई
राजगुरु पंडित जगन्नाथ सम्राट द्वारा
3.पत्थर की जाली एवं कटाई के कारण संसार की प्रसिद्ध हवेली
पटवों की हवेली (जैसलमेर)
4.डीग के महल (भारतीय एवं इस्लामी कला का समन्वय) स्थित है
डीग (भरतपुर) में
5.रानी की बावड़ी, संठ की बावड़ी तथा हाड़ी रानी का कुण्ड स्थित है
टोडारायसिंह में
6. ‘सभी किलों का सिरमौर’ कहा जाता है
चित्तौड़गढ़ दुर्ग
7. किलो अलखणो यू कहे, आव कला राठौड़। मो सिर उतरे मोहणो, तो सिर बंधै मौड़।। यह लोक प्रसिद्ध दोहा किस दुर्ग से संबंधित है?
सिवाणा दुर्ग
8. अजमेर का तारागढ़ किला इस नाम से जाना जाता है
गढ़बीठली
9. तारागढ़ का निर्माण किसने करवाया था?
चौहान शासक अजयपाल ने
10. 1452 ई. के लगभग राणा कुंभा द्वारा परमार शासकों द्वारा निर्मित आबू के पुराने किले के भग्नावशेषों पर किस दुर्ग का निर्माण करवाया गया?
अचलगढ़
11. जोधपुर के संस्थापक राव जोधा ने विक्रम संवत 1515 (1458 ई.) में जिस दुर्ग का निर्माण करवाया वह है
मेहरानगढ़ (जोधपुर)
12. चिडि़या टुक पहाड़ी पर स्थित मेहरानगड़ का एक नाम यह भी है
मयूरध्वज गढ़
13. ‘भगनो विद्युत मंडलाकुति गढ़ी जित्वा समस्तना रीन।’ यह उक्ति जिस दुर्ग के संबंध में कही गई है
मेवाड़ का मांडलगढ़
14. यहां का जगतशिरोमणी मंदिर हिंदु स्थापत्य कलाकी अनुपम कृति है
आमेर (जयपुर)
15. एशिया की सबसे बड़ी जयबाण तोप यहां है
जयगढ़ (जयपुर)
16. सवाई जयसिंह ने मराठों के विरूद्ध सुरक्षा के लिए कौनसा दुर्ग बनवाया था
नाहरगढ़ (सुदर्शनगढ़) आमेर
17. गागरौण का सुप्रसिद्ध दुर्ग स्थित है
झालावाड़ में
18. 1155 ई. में रावल जैसल द्वारा स्थापित जैसलमेर का प्रसिद्ध दुर्ग है
सोनारगढ़ या सेनगढ़
19. सोनगढ़ किस कोटी का दुर्ग है
धान्वन कोटी का
20. भाटियों की वीरता का साक्षी भटनेर का प्राचीन दुर्ग स्थित है
हनुमानगढ़
21. लाल पत्थरों से निर्मित बीकानेर स्थित दुर्ग
जुनागढ़
22. 1733 ई. में महाराजा सुरजमल द्वारा निर्मित भूमि दुर्ग है
लोहागढ़ (भरतपुर)
विद्याधर
2.सवाई जयसिंह के कल्पनानुसार जयपुर शहर की नींव रखी गई
राजगुरु पंडित जगन्नाथ सम्राट द्वारा
3.पत्थर की जाली एवं कटाई के कारण संसार की प्रसिद्ध हवेली
पटवों की हवेली (जैसलमेर)
4.डीग के महल (भारतीय एवं इस्लामी कला का समन्वय) स्थित है
डीग (भरतपुर) में
5.रानी की बावड़ी, संठ की बावड़ी तथा हाड़ी रानी का कुण्ड स्थित है
टोडारायसिंह में
6. ‘सभी किलों का सिरमौर’ कहा जाता है
चित्तौड़गढ़ दुर्ग
7. किलो अलखणो यू कहे, आव कला राठौड़। मो सिर उतरे मोहणो, तो सिर बंधै मौड़।। यह लोक प्रसिद्ध दोहा किस दुर्ग से संबंधित है?
सिवाणा दुर्ग
8. अजमेर का तारागढ़ किला इस नाम से जाना जाता है
गढ़बीठली
9. तारागढ़ का निर्माण किसने करवाया था?
चौहान शासक अजयपाल ने
10. 1452 ई. के लगभग राणा कुंभा द्वारा परमार शासकों द्वारा निर्मित आबू के पुराने किले के भग्नावशेषों पर किस दुर्ग का निर्माण करवाया गया?
अचलगढ़
11. जोधपुर के संस्थापक राव जोधा ने विक्रम संवत 1515 (1458 ई.) में जिस दुर्ग का निर्माण करवाया वह है
मेहरानगढ़ (जोधपुर)
12. चिडि़या टुक पहाड़ी पर स्थित मेहरानगड़ का एक नाम यह भी है
मयूरध्वज गढ़
13. ‘भगनो विद्युत मंडलाकुति गढ़ी जित्वा समस्तना रीन।’ यह उक्ति जिस दुर्ग के संबंध में कही गई है
मेवाड़ का मांडलगढ़
14. यहां का जगतशिरोमणी मंदिर हिंदु स्थापत्य कलाकी अनुपम कृति है
आमेर (जयपुर)
15. एशिया की सबसे बड़ी जयबाण तोप यहां है
जयगढ़ (जयपुर)
16. सवाई जयसिंह ने मराठों के विरूद्ध सुरक्षा के लिए कौनसा दुर्ग बनवाया था
नाहरगढ़ (सुदर्शनगढ़) आमेर
17. गागरौण का सुप्रसिद्ध दुर्ग स्थित है
झालावाड़ में
18. 1155 ई. में रावल जैसल द्वारा स्थापित जैसलमेर का प्रसिद्ध दुर्ग है
सोनारगढ़ या सेनगढ़
19. सोनगढ़ किस कोटी का दुर्ग है
धान्वन कोटी का
20. भाटियों की वीरता का साक्षी भटनेर का प्राचीन दुर्ग स्थित है
हनुमानगढ़
21. लाल पत्थरों से निर्मित बीकानेर स्थित दुर्ग
जुनागढ़
22. 1733 ई. में महाराजा सुरजमल द्वारा निर्मित भूमि दुर्ग है
लोहागढ़ (भरतपुर)
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