जयपुर, भारत के पुराने शहरों में से एक है जिसे पिंक सिटी के नाम से जाना जाता है। राजस्थान राज्य की राजधानी कहा जाने वाला जयपुर शहर एक अर्द्ध रेगिस्तान क्षेत्र में स्थित है। इस खूबसूरत शहर को अम्बेर के राजा महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा बंगाल के एक वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य की मदद से बनाया गया था। यह भारत का पहला शहर है जिसे वास्तुशास्त्र के अनुसार बनाया गया था।यह जगह हिंदू वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है, जो पिथापड़ा रूप यानि आठ भागों के मंडल में बना हुआ है। राजा सवाई सिंह माधों, खगोलविज्ञान के बारे में जानकारी रखते थे और इसी कारण उन्होने 9 के अंक को ज्यादा महत्व दिया और शहर के निर्माण में 9 का ध्यान रखा। यह 9 अंक, 9 ग्रहों के प्रतीक होते है।
जयपुर शहर, अपने किलों, महलों और हवेलियों के विख्यात है, दुनिया भर के पर्यटक भारी संख्या में भ्रमण करने आते है। दूर - दराज के क्षेत्रों के लोग यहां अपनी ऐतिहासिक विरासत की गवाह बनी इस समृद्ध संस्कृति और पंरपरा को देखने आते है। अम्बेर किला, नाहरगढ़ किला, हवा महल, शीश महल,गणेश पोल और जल महल, जयपुर के लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से हैं।
महलों और किलों के अलावा जयपुर शहर मेले और त्यौहारों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। यहां के लोकप्रिय वार्षिक त्यौहारों में से एक जयपुर विंटेज कार रैली है जिसका आयोजन हर साल जनवरी माह में किया जाता है। यह कार रैली एक प्रमुख आकर्षण केंद्र होती है जो पर्यटकों के बीच खासी प्रसिद्ध है।
कार प्रेमी यहां आकर विंटेज कारों जैसे - मर्सिडीज, ऑस्टिन और फिएट आदि का अद्भभुत संग्रह देख सकते हैं। इनमें से कुछ कारें तो 1900 वीं सदी की है।
अन्य प्रसिद्ध उत्सवों में से एक महोत्सव एलीफैण्ट फेस्टिवल भी है जिसका आयोजन हर साल होली के अवसर पर किया जाता है जो हिन्दूओं का मुख्य पर्व होता है। इस महोत्सव में कई रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते है साथ ही जिंदा हाथियों को सजा कर लाया जाता है।
इसके अलावा, गणगौर महोत्सव भी यहां काफी लोकप्रिय है गणगौर का अर्थ होता है शिव और पार्वती। गण अर्थात् हिंदूओं के भगवाना शिव और गौर अर्थात् भगवान शिव की पत्नी पार्वती। यह त्यौहार वैवाहिक जीवन में खुशी का प्रतीक होता है। जयपुर के कुछ अन्य त्यौहारों और मेलों में बाणगंगा मेला, तीज, होली और चाकसू मेला भी काफी फेमस हैं।