राजस्थान में उद्योग

 राजस्थान में अब तक चार ओधोगिक नीतिया  लागु कि जा  चुकी है।चारो नीतिया मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के के काल में घोषित कि गई। 



1951 में राजस्थान में कुल 11 वृहत उधोग थे जिनमे से 7 सूती वस्त्र मील ,2 सीमेंट उधोग ,2 चीनी उद्योग थे 




राजस्थान कि ओधोगिक नगरी -कोटा
सर्वाधिक उधोग नगर -जयपुर
सबसे छोटा ओधोगिक नगर -करौली

सबसे कम उधोग वाला जिला -जैसलमेर
उधोग शून्य जिले -जालोर ,सिरोही ,चुरू


राजस्थान का मेनचेस्टर -भीलवाड़ा 
नवीन मेनचेस्टर -भिवाड़ी अलवर 





                                             सूती वस्त्र उधोग 

भारत में प्रथम सूती मील 1818 में घुसरी कलकता में स्थापित कि गई। यह असफल रही।


भारत कि प्रथम सफल सूती वस्त्र मील 1854 में कवास जी डाबर के द्वारा मुम्बई में स्थापित कि गई

राजस्थान कि प्रथम सूती वस्त्र मील 1889 में  दी कृष्णा मील्स के नाम से ब्यावर में स्थापित कि गई  सस्थापक -दामोदर दास राठी थे। जन्हे सस्त्र क्रांति के भामाशाह कहा जाता है
एडवर्स मील तथा महालक्ष्मी मील ब्यावर में स्थापित कि गई।
1942 में पाली में महाराजा उम्मेदसिंह मील स्थापित कि गई। यह राजस्थान कि सबसे अधिक सूती वस्त्र उत्पादन करने वाली मील है।

सर्वाधिक कार्यशील हथकरघे  दी कृष्णा मील में है। 



सार्वजनिक क्षेत्र कि मीले -      1. एडवर्ड सूती वस्त्र मील -ब्यावर
                                              2.महालक्ष्मी सूती वस्त्र मील -ब्यावर
                                              3. विजय नगर सूती वस्त्र मील -विजय नगर अजमेर


सहकारी कि  क्षेत्र कि मीले - 1.   गंगापुर सहकारी सूती वस्त्र मील -गंगापुर
                                          2.   गुलाबपुरा सहकारी मील -गुलाबपुरा भीलवाड़ा
                                          3.   श्री गंगानगर सूती वस्त्र मील -हनुमानगढ़

सहकारी क्षेत्र कि उपयुक्त मील के साथ गंगापुर जिनिंग मील को सयुंक्त करके  1 अप्रेल 1993 को स्पिनफैड कि स्थापना कि गई। उपयुक्त सहकारी क्षेत्र के अलावा अन्य सभी मील निजी क्षेत्र में कार्यरत है। 




                                   


                             सीमेंट उधोग



राजस्थान का भारत में सीमेंट उत्पादन में प्रथम स्थान है। 




प्रथम सीमेंट फेक्ट्री -लाखेरी बूंदी में स्थापित कि गई 



सर्वाधिक सीमेंट उत्पादन  का पुरस्कार -पीकॉक गोल्डन -श्री सीमेंट को 2005 ,2008 में दो बार मिल चूका है 
सबसे कम सीमेंट उत्पादन -श्री राम सीमेंट रामनगर कोटा 


राजस्थान में सफेद सीमेंट के तीन कारखाने है -1. गोटन  नागौर -यह राजस्थान का सफेद सीमेंट का प्रथम कारखाना है 
                                                                       2. खरियांखंगार -जोधपुर -सबसे बड़ा कारखाना 
                                                                       3. मांगरोल -       चितोडगढ़  

सर्वाधिक  सीमेंट उत्पादन जिला -चितोडगढ़ 

भविष्य में सर्वाधिक सीमेंट उत्पादन कि सम्भावना जैसलमेर में है।




                                           चीनी उधोग 

राजस्थान में कुल तीन चीनी उधोग जो सारवजनिक ,सहकारी तथा नीजि  क्षेत्र में स्थापित है। 


1. दी मेवाड़ शुगर मील -भोपालसागर चितोडगढ़ -इसकी स्थापना 1932 में निजी क्षेत्र में कि गई। यह राजस्थान का चीनी उधोग का प्रथम कारखाना है। 

2. गंगानगर शुगर मील  -गंगानगर -इसकी स्थापना 1937 में निजी क्षेत्र में कि गई परन्तु  1956 में इसे सारवजनिक क्षेत्र में ले लिया गया। चुकन्दर से चीनी बनाने का कार्य 1968 से शुरू हुआ। 
यहा  शराब भी निर्मित कि जाती है। जिसके लिए बोतलों का निर्माण दी हाईटेक प्रिसिजन ग्लास वर्क्स धोलपुर में किया जाता है। यह शुगर मील कमीनपुरा करनपुर में स्थांतरित किया जाना प्रस्तावित है। 

3. केशवरायपाटन  चीनी मील -बूंदी स्थापना 1965 में सहकारी क्षेत्र में की गई स्व्तंत्रता प्राप्ति के बाद स्थापित होने वाली राज्य कि एकमात्र शुगर मील है।






                                    नमक उधोग 

राजस्थान का भारत में चतुर्थ स्थान है। जबकि झीलो से नमक उत्पादन में प्रथम स्थान है।
राजस्थान कि अकेली सांभर झील भारत के कुल नमक उत्पादन का    8.7 %उत्पादन करती है।

सांभर  साल्ट लिमिटेड -स्थापना 1960 में राज्य सरकार के अधीन कि गई। 1964 में इसे हिदुस्तान साल्ट लिमिटेड कि सहायक कम्पनी बना दिया। इस तरह यह केंद्र सर्कार का उपक्रम बन गया
वर्त्तमान में राजस्थान में राज्य सरकार के नमक उत्पादन के कारखाने डीडवाना ,पंचपद्रा में  कार्यरत है। अन्य सभी नमक उत्पादन के कारखाने निजी क्षेत्र में है। 




                                              काँच उधोग 


          काँच में मुख्यतय सिलिका का उपयोग किया जाता है। 

1. दी हाईटेक प्रिसिजन ग्लास वर्क्स -धौलपुर -यह गंगानगर शुगर मील के लिया शराब कि बोतलों का निर्माण       करती  है। 

2. धोलपुर ग्लास वर्क्स -धोलपुर  

3. सेमकोर ग्लास फैक्ट्री -कोटा -सैमसंग टेलीविज़न कि पिक्चर ट्यूब का निर्माण करती है।

4. सेन्टगोबीन ग्लास वर्क्स -भिवाड़ी अलवर -यह 2008 में फ्रांस कि कंपनी सेन्टगोबीन द्वारा स्थापित किया                  गया

राजस्थान में पशु सम्पदा

राजस्थान पशुधन निःशुल्क दवा योजना - 15 अगस्त 2012 से प्रारंभ -  राज्य के 5.67 करोड़    पशुधन 

राजस्थान दुग्ध उत्पादक संबल योजना - राज्य सरकार के सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों में दूध की आपूर्ति करने वाले पशुपालकों को राज्य सरकार द्वारा 2 रू. प्रति लीटर की दर सं अनुदान उपलब्ध करवाना।

अविका क्रेडिट कार्ड योजना - केंद्रीय सहकारी बैंकों के माध्यम से वर्ष 2004-05 में प्रारंभ भेंडपालकों को ऋण प्रदान करने की  योजना

अविका कवच येाजना - भेड़पालकों को भेड़ों का बीमा लाभ प्रदान करने की योजना

अविका पाल जीवन रक्षक योजना - भेड़पालकों का बीमा कराने की योजना

अविका रक्षक योजना - भेड़पालकों से संबंधित

गोपाल योजना - विश्व बैंक की सहायता से 2 अक्टूबर 1990 से दक्षिण पूर्वी राजस्थान के 10 जिलों में प्रारंभ गोपाल योजना के तहत पशुधन नस्ल सुधार के माध्यम से पशुपालकों के आर्थिक स्तर में सुधार लाया जाता है।

कामधेनु योजना - गौशालाओं को उन्नत नस्ल के दुधारू पशुओं के प्रजनन केंद्र बनाने हेतु वर्ष 1997-98 में कामधेनु योजना प्रारंभ की गई।

~ ग्राम आधार योजना का संबंध किससे है - पशुपालन के विकास से
~ आॅपरेशन फ्लड व श्वेत क्रांति का आरंभ वर्ष 1970 में किया गया।

~ जयपुर स्थित राजस्थान राज्य सहकारी डेयरी फैडरेशन की स्थापना वर्ष 1977 में हुई।

~ राजस्थान राज्य की सबसे बड़ी डेयरी - रानीवाड़ा डेयरी

~ जन श्री योजना - दुग्ध उत्पादकों के लिए आरसीडीएकफ द्वारा संचालित बीमा योजना

* किस गांव में राजस्थान की पहली महिला दुग्ध उत्पादन सहकारी समिति प्रांरभ की गई - भोजूसर (बीकानेर)

* राजस्थान की पहली डेयरी - पदमा डेयरी (अजमेर)

*कामधेनु योजना वर्ष 1997-98 में प्रांरभ की गई।

* राजस्थान में भरे जाने वाले राज्य स्तरीय पशु मेलों की संख्या है - 10 दस

* सर्वाधिक राज्य स्तरीय पशु मेले किस जिले में आयोजित होते है - नागौर 

*वह स्थान जहां सर्वाधिक राज्य स्तरीय पशु मेले आयोजित होते है - झालरापाटन 

*पुष्कर पशु मेला नवंबर माह में कार्तिक पूर्णिमा को भरता है।

*तेजाजी पशु मेला  - श्रावण पूर्णिमा से भाद्रपद अमावस्या को भरता है। 

* नागौर नस्ल के बैलों हेतू प्रसिद्ध रामदेव पशु मेला  - माघ शुक्ला 1 से माघ पूर्णिमा तक

* सर्वाधिक लंबी अवधि तक अर्थात एक माह तक लगने वाला पशु मेला - गोगामेडी पशु मेला

* गोगामेड़ी पशु मेला श्रावण पूर्णिमा से भाद्रपद पूर्णिमा तक भरता है।

* हाड़ौती क्षेत्र का सबसे बड़ा व सबसे प्रसिद्ध पशु मेला - गोमती सागर पशु मेला

*आमदनी के लिहाज से राजस्थान का सबसे बड़ा पशु मेला/राजस्थान का सबसे बड़ा पशु मेला - वीर तेजाजी पशु मेला, परबतसर

राजस्थान का कौनसा पशु मेला अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका है - पुष्कर पशु मेला

गधों के मेले का आयोजन  - लूणियावास (जयपुर)

किस पशु मेले के पश्चात माल मेला आयोजित होता है - महाशिवरात्रि पशु मेला

थारपारकर व काकंरेज नस्ल के क्रय-विक्रय हेतु प्रसिद्ध पशु मेला है - मल्लीनाथ पशु मेला, तिलवाड़ा

कौनसे दो राज्य स्तरीय पशु मेले एक ही दिन (श्रावण पूर्णिमा) से शुरू होते है - गोगामेड़ी व तेजाजी










*गाय*


दुग्ध व्यवसाय के लिए अत्यंत उपयोगी गाय की वह नस्ल जो लालसिंधि व साहीवाल की मिश्रित नस्ल है - राठी

थारपरकर नस्ल की गायें मूलतः बाड़मेर जिले से संबंधित है।

थारपारकर नस्ल स्थानीय भागों में मालाणी नस्ल के नाम से भी जानी जाती है।

गाय की प्रमुख नस्ले:- कांकरेज (सांचैरी), मालवी, थारपारकर (मालाणी), हरियाणवी, राठी, साहीवाल, लालसिंधि, गिर (रेंडा/अजमेरा), नागौरी, मेवाती (कोठी)

नागौरी बैलों का उत्पति स्थल नागौर का समीपवर्ती सुहालक क्षेत्र माना जाता है।

राजस्थान की कामधेनु के रूप में प्रसिद्ध राठी नस्ल गाय की सर्वश्रेष्ठ नस्ल मानी जाती है।

बैलों की सर्वोतम नस्ल है - नागौरी

राठी नस्ल की गायें मुख्यतः किन किन जिलों में पाई जाती है - गंगानगर-बीकानेर-जैसलमेर

बाड़मेर जिले का मालाणी क्षेत्र में गाय की किस नस्ल की उत्पति स्थल के रूप में प्रसिद्ध क्षेत्र है - थारपारकर

गाय की गीर नस्ल के अन्य नाम - रेंडा/अजमेरा

राजस्थान में पाई जाने वाली गाय की वह नस्ल जो सर्वाधिक दूध देती है - राठी

बोझा ढोने व तेज चलने के लिए प्रसिद्ध गाय नस्ल - कांकरेज

गाय की वे दो नस्ले जो केवल बैलों के लिए पाली जाती है/बैलों हेतु सर्वाधिक प्रसिद्ध दो नस्लें - नागौरी-मालवी

केवल दूध उत्पादन हेतु प्रसिद्ध गाय की दो नस्लें - राठी-गीर

गाय की वह नस्ल जो द्विप्रयोजनार्थ (दूध एवं बैल दोनों हेतु) प्रसिद्ध है - थारपारकर

नागौर नस्ल के बैल कृषि कार्य हेतु सर्वोतम माने जाते है।

राजस्थान के उतरी-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश में पायी जाने वाली गाय की दो मुख्य नस्लें - राठी व थारपारकर

नस्ल - उत्पति स्थल - क्षेत्र
  • नागौरी - नागौर का समीपवर्ती सुहालक क्षेत्र - नागौर
  • थारपारकर - बाड़मेर का मालाणी क्षेत्र - बाड़मेर-जोधपुर-जैसलमेर
  • कांकरेज - जालोर का सांचैर क्षेत्र - जालौर-सिरोही-पाली-बाड़मेर (द.प. राजस्थान)
  • मालवी - झालावाड़ का मालवी क्षेत्र - झालावाड़-कोटा
  • गीर/अजमेरा/रेंडा - मेवाती
  • राठी - अजमेर-पाली-भीलवाड़ा
  • अलवर-भरतपुर - गंगानगर-बीकानेर-जैसलमेर




*भैंस*  

भैंस की प्रमुख नस्लें:- मुर्रा (खुंडी), भदावरी, सूरती, महेसाना, नागपुरी, मुरादाबादी, जमना, जाफरावादी

भैंस की सबसे श्रेष्ठ नस्ल - मुर्रा (खुंडी)

दक्षिण राजस्थान में पायी जाने वाली भैंस की एक प्रमुख नस्ल - जाफरावादी

सर्वाधिक दूध देने वाली भैंस की नस्ल - मुर्रा (खुंडी)

राजस्थान में मुख्य रूप से भैंस की मुर्रा-महेसाना-जाफरावादी-सूरती नस्लें पाई जाती है।

मुर्रा नस्ल की भैंस राजस्थान के किन-किन जिलों में पाई जाती है - जयपुर-अलवर-भरतपुर (पूर्वी राज.)

सिरोही व जालोर जिलों में पाई जाने वाली भैंस नस्ल - महेसाना

गुजरात के समीपवर्ती क्षेत्र (दक्षिण राज.) में पाई जाने वाली भैंस की नस्लें - जाफरावादी-सूरती

गाय दक्षिणी राजस्थान में जबकि भैंस पूर्वी राजस्थान में सर्वाधिक पाई जाती है।




*भेंड़*



भेंड़ों की सर्वाधिक संख्या वाले जिले - बाड़मेर-बीकानेर

राजस्थान में भेड़ की किस नस्ल से सर्वाधिक  ऊन प्राप्त होती है - जैसलमेरी

भेड़ की कौनसी नस्ल भारतीय मैरिनों कहलाती है - चौकला

किस नस्ल की भेड़ से सर्वाधिक लंबे रेशे की ऊन प्राप्त होती है - मगरा

सन् 1962 में केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर में स्थापित किया गया।

राजस्थान में किस नस्ल की भेड़ों की संख्या सर्वाधिक है - मारवाड़ी

भेड़ की द्विप्रयोजनीय नस्लें - सोनाड़ी-मालपुरा

सर्वाधिक दूध देने वाली भेड़ - सोनाड़ी

दक्षिण राजस्थान में पाई जाने वाली भेड़ की प्रमुख नस्ल - सोनाड़ी

अच्छी किस्म की मेरिनो ऊन के लिए प्रसिद्ध भेड़ - चौकला

उतरी राजस्थान में पायी जाने वाली प्रमुख भेड़ - नाली

क्राॅस ब्रीडिग के माध्यम से विकसित भेड़ नस्लें - चौकला-सोनाड़ी-मालवुरा

75 प्रतिशत काले व 25 सफेद मुंह वाली बागड़ी नस्ल की भेड़ किस जिले में पाई जाती है - अलवर

राजस्थान में भेड़ की वह नस्ल जिसकी ऊन सर्वोतम होती है - चौकला

लंबी दूरी तय करने व अधिक समय तक निरोग रहने के लिए प्रसिद्ध भेड़ नस्ल - मारवाड़ी

जैसलमेरी भेड़ की ऊन से गलीचे व मगरा भेड़ की ऊन से कालीन बनाए जाते है।

भारत की लगभग 25 प्रतिशत भेड़ें राजस्थान में पाई जाती है।

नस्ल - क्षेत्र
  • चौकला - चुरू-झुंझुनू-सीकर (शेखावाटी)
  • मगरा (बीकानेरी चैकला) - जैसलमेर-बाड़मेर-बीकानेर-नागौर-चुरू
  • जैसलमेरी - जैसलमेर-बाड़मेर-जोधपुर
  • नाली - गंगानगर-हनुमानगढ-चुरू-झुंझुनू
  • पूगल - बीकानेर-जैसलमेर
  • मालपुरा (देशी नस्ल) - अजमेर-टोंक-भीलवाड़ा
  • सोनाड़ी (चनोथर) - जोधपुर-नागौर-पाली के घुमक्कड़ रेवड़ों में
  • बागड़ी - अलवर





               *बकरी*

राजस्थान में बकरी की प्रमुख नस्लें - शेखावाटी, मारवाड़ी, जमनापरी, बड़वारी, अलवरी (जखराना), सिरोही, लोही, झरवाड़ी

बकरी की किस नस्ल का विकास काजरी के वैज्ञानिकों ने किया - शेखावाटी

नागौर जिले का वह स्थान जहां की बकरियां प्रसिद्ध है - बगरू (वरूण)

राजस्थान में बकरी की वह नस्ल जो सर्वाधिक दूध देती है एवं बहरोड़ (अलवर) में पायी जाती है - जखराना (अलवरी)

बकरी की सर्वाधिक सुंदर नस्ल - बारबरी

किस नस्ल की बकरी के सींग नहीं होते है - शेखावाटी

राजस्थान में बकरी की सर्वश्रेष्ठ नस्ल एवं सर्वाधिक दूध देने वाली नस्ल - जखराना

बकरी की सर्वाधिक सुंदरता नस्ल वाली बारबरी किस क्षेत्र में पाई जाती है - पूर्वी राजस्थान

राजस्थान में संपूर्ण भारत की लगभग 28 प्रतिशत बकरियां पाई जाती है।

मांस उत्पादन के लिए बकरी की कौनसी नस्ल विशेष रूप से जानी जाती है - लोही

दूध उत्पादन के लिए बकरी की कौनसी नस्ल प्रसिद्ध है - झखराना

बकरी की परबतसर नस्ल हरियाणा की बीटल व राजस्थान की सिरोही नस्ल का मिश्रण है।

बरबरी नस्ल की बकरी पूर्वी राजस्थान में पाई जाती है।

भेड़ एवं बकरी दोनों में ही राजस्थान देश में दूसरा स्थान रखता है।

मांस उत्पादन के लिए बकरी की दो सर्वाधिक प्रसिद्ध नस्लें - लोही-मारवाड़ी 










           *ऊंट*

सन् 1984 में केंद्रीय ऊंट प्रजनन केंद्र कहां स्थापित किया गया - जोड़बीर (बीकानेर)

ऊंट पालन की दृष्टि से राजस्थान में देश में प्रथम स्थान है।

ऊंट पालक जाति - रेबारी

ऊंट पालन की दृष्टि में राजस्थान के दो प्रमुख जिले - बाड़मेर-बीकानेर

जैसलमेर जिले का वह स्थान जहां के ऊंट विश्वभर में प्रसिद्ध है - नाचना

सवारी की दृष्टि से किस स्थान का ऊंट सर्वश्रेष्ठ माना जाता है - गोमठ (फलौदी)

बोझा ढोने व तेज चलने के लिए ऊंट की सर्वश्रेष्ठ नस्ल है - बीकानेरी

नांचना का ऊंट जैसलमेर जिले में पाया जाता है।

राजस्थान में संपूर्ण भारत के 65-70 प्रतिशत ऊंट पाये जाते है।

राजस्थान में ऊंटों की सर्वाधिक संख्या पश्चिमी जिलों में है।

राजस्थान में पाई जाने वाली ऊंटों की नस्लें - जैसलमेरी-बीकानेरी (मुख्य)-कच्छी-सिंधी

कच्छी नस्ल का संबंध किस पशु से है - ऊंट

स्थान की दृष्टि से नाचना का ऊंट जबकि नस्ल की दृष्टि से कच्छी नस्ल का ऊंट सबसे अच्छा माना जाता है।

मतवाली चाल के लिए जैसलमेरी ऊंट प्रसिद्ध है।

भारत के 50 प्रतिशत ऊंट बीकानेरी नस्ल के है।

ऊंटों में होने वाला प्रमुख रोग - सर्रा (तिवरसा)




                                               अन्य महत्वपूर्ण तथ्य 



बाड़मेर का मालानी क्षेत्र किस पशु की उपलब्धि के आधार पर अपनी विशिष्ट पहचान रखता है - घोड़ा

बाड़मेर जिले की सिवाना तहसील मालानी नस्ल के घोड़ों के लिए प्रसिद्ध है।

घोड़ों की सर्वाधिक संख्या वाले दो जिले - बाड़मेर-जालोर

कुक्कुट (मुर्गी) पालन की दृष्टि से अग्रणी जिला है - अजमेर

मुर्गीपालन प्रशिक्षण संस्थान - अजमेर

राजस्थान का राज्य पशु चिंकारा (चैसिंगा हिरण) राजस्थान के किस भाग में सर्वाधिक पाया जाता है - दक्षिणी

बकरे व नागौरी बैलों के लिए नागौर जिले की परबतसर तहसील का बाजवास गांव प्रसिद्ध है।

राजस्थान का सबसे बड़ा ऊन उत्पादक जिला - जोधपुर

पशुधन की दृष्टि से राजस्थान का देश में दूसरा स्थान है।

सर्वाधिक पशु संख्या वाला जिला - बाड़मेर

सर्वाधिक पशु घनत्व वाला जिला - डूंगरपुर

पिछली पशु गणना - 2007 में

दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान के दो प्रमुख जिले - जयपुर-गंगानगर

राजस्थान में सर्वाधिक संख्या में पाया जाने वाला पशु है - बकरी

देश के कुल पशुधन का 11.2 प्रतिशत राजस्थान में है।

पश्चिमी राजस्थान में किस पशु पर आर्थिक निर्भरता सर्वाधिक है - भेड़

राजस्थान की अर्थव्यवस्था में पशुधन का योगदान है - लगभग 5 प्रतिशत

राजस्थान के मरूस्थली क्षेत्रों में लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत/साधन है - पशुपालन

केंद्रीय पशु प्रजनन केंद्र - सूरतगढ

केंद्रीय पशुधन अनुसंधान संस्थान - सूरतगढ

राजस्थान का एकमात्र पशु विज्ञान एवं चिकित्सा महाविद्यालय - बीकानेर

राजस्थान का एकमात्र दुग्ध विज्ञान एवं टेक्नाॅलोजी महाविद्यालय - उदयपुर

केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड - जोधपुर

केंद्रीय ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला - बीकानेर

शीप एंड वूल ट्रेनिंग संस्थान - जयपुर

एशिया की सबसे बड़ी ऊन मंडी - बीकानेर

राजस्थान देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 9-10 प्रतिशत भाग उत्पादित कर तीसरे स्थान पर है।

ऊन उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का सबसे अग्रणी जिला - जोधपुर

राजस्थान में ऊंटों की संख्या समस्त पशुधन संख्या का मात्र 1 प्रतिशत है।

राजस्थान में सर्वाधिक संख्या में पाये जाने वाले चार पशु (क्रमशः) - बकरी-गाय-भैंस-भेड़

समस्त राजस्थान की 65 प्रतिशत से अधिक भेंड़े व 80 प्रतिशत ऊंट उतरी व पश्चिमी राजस्थान में पाये जाते है।

किस पशु की दृष्टि से राजस्थान का देश में एकाधिकार है - ऊंट

गाय-भैंस-भेड़-बकरी की सर्वाधिक दूध देने वाली नस्लें - राठी-मुर्रा-सोनाड़ी-जखराना

पशु नस्ल के आधार पर राजस्थान को दस भागों में बांटा जा सकता है।

राजस्थान संपूर्ण देश की लगभग 40 प्रतिशत ऊन उत्पादित कर प्रथम स्थान पर है।



राजस्थान में खनिज

राजस्थान का खनिज भंडारो  कि दृष्टि से भारत में झारखण्ड के बाद राजस्थान का दूसरा स्थान है।
खनिजो से होने वाली आय कि दृष्टि से राजस्थान का भारत में पांचवां स्थान है। खानो कि दृष्टि से राजस्थान का प्रथम स्थान है। राजस्थान में सर्वाधिक प्रकार के खनिज पाये जाते है। इसलिए राजस्थान को खनिजो का अजायबघर कहते है राजस्थान पुरे भारत  में  सीसा जस्ता, चाँदी  ,जिप्सम, फर्लोसपार, फलोराइड, टंगस्टन आदि में प्रथम स्थान रखता है।  


1. सीसा जस्ता चाँदी  -सर्वाधिक उत्पादन - जावर उदयपुर 

     उत्पादन क्षेत्र                              राजपुरा दरीबा -          राजसमंद
                                                      रामपुरा आगूँचा-          भीलवाड़ा
                                                      चौथ कबरवाड़ा -          सवाई माधोपुर

राजस्थान में सीसा जस्ता शोधन के लिए हिदुस्तान जिंक लिमिटेड कि स्थापना 1966 में कि गई परन्तु यहा हो रहे अवैध खनन के कारण उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। वर्त्तमान में जस्ता शोधन का कार्य सुपर जिंक स्मेल्टर चंदेरिया चितोडगढ़ में किया जाता है यह ब्रिटेन कि सहायता से  स्थापित गया है।
यह एशिया का सबसे बड़ा जिंक स्मेल्टर है   


2.  लोहा    -सर्वाधिक उत्पादन -मोरीजा बनेरा -जयपुर 

              उत्पादन क्षेत्र -                नीमला राइसेला -दौसा
                                                    खेतड़ी सिंघाना -झुंझुंनू
                                                    थुर हुण्डेर -उदयपुर


3. ताँबा     -सर्वाधिक उत्पादन -खेतड़ी सिंघाना  झुंझुंनू 
         
           उत्पादन क्षेत्र  -                   खोदरीबा -अलवर
                                                    बन्नी कि ढाणी -सीकर




4. रॉक फास्फेट - सर्वाधिक उत्पादन -झामर कोटड़ा -उदयपुर 
              
                          
                           इसका उपयोग उवर्रक उधोग में किया जाता है। इससे सुपर फास्फेट का निर्माण  होता है।
                         भारत कि रॉक फास्फेट कि सबसे बड़ी खान है।  बिरमानिया जैसलमेर  

   

5. टंगस्टन      -सर्वाधिक उत्पादन -डेगाना नागौर  
                      
                      उत्पादन क्षेत्र -               - डेगाना - नागौर
                                                            -वालदा -सिरोही
राजस्थान का इस  खनिज पर एकाधिकार है। 




6. जिप्सम       -सर्वाधिक उत्पादन -भदवासी क्षेत्र -नागौर
                  
सबसे बड़ी जिप्सम कि खान -जामसर -बीकानेर  

7. संगमरमर        -सर्वाधिक उत्पादन -राजसमंद 
यह बहुमूल्यपत्थरो में सर्वाधिक  आय प्रदान करने वाला पत्थर है।  
मकराना नागौर के सफेद संगमरमर से विश्व प्रसिद ताजमहल का निर्माण किया गया है। 

हरा संगमरमर -उदयपुर ,डूंगरपुर 
सफेद संगमरमर -मकराना ,राजसमंद 
काला संगमरमर -भेसलाना जयपुर 
बादामी संगमरमर -जोधपुर 
पीला संगमरमर -जैसलमेर 
सतरंगा संगमरमर-खदरा गॉव पाली  






राजस्थान में मृगवन

राजस्थान में 7 मृगवन  



1. अशोकविहार मृगवन -  जयपुर
2. संजय उधान मृगवन  -  शाहपुरा जयपुर
3. अमृतादेवी मृगवन -      खेजड़ली जोधपुर
4. मचिया सफारी -            जोधपुर
5. चितोडगढ़ मृगवन -      चितोडगढ़
6. सज्जनगढ़ मृगवन -     उदयपुर
7. पंचकुंड मृगवन -          पुष्कर अजमेर 





राजस्थान  में जंतुआलय 



1. जयपुर जंतुआलय -इसकी स्थापना 1876 में कि गई यह राजस्थान का सबसे प्राचीन जंतुआलय है।
यहा मगरमच्छ का प्रजनन करवाया जाता है। हालही में यहा बाघ प्रजनन भी काव्य गया है। 

2. उदयपुर जन्तुआलय -इसकी स्थापना 1878 में गुलाबबाग में कि गई। यहा एक पक्षीशाला {ऐवरी पक्षी }है।



3. बीकानेर जन्तुआलय -इसकी स्थापना 1922  में कि गई। वर्त्तमान में बंद है। 

4. जोधपुर जंतुआलय -इसकी स्थापना 1936 में कि गई। यह जन्तुआलय गोडावण के प्रजनन के लिए प्रसिद        है। 
5. कोटा जन्तुआलय -इसकी स्थापना 1954 में कि गई। राज्य का सबसे नवीनतम जंतुआलय तथा स्वतंत्रता के बाद स्थापित है।



राजस्थान के राष्ट्रिय उधान

राजस्थान के  राष्ट्रिय उधान 


रणथम्बोर  राष्रीय उधान - सवाई माधोपुर  इसे 1955  में वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित क्या गया   भारत कि प्रथम बाघा परियोजना यहा 1  अप्रेल1973 को शुरू कि गई    
 रणथंबोर  राज्य का प्रथम राष्ट्रिय उधान है । 2008  को यहा दुनिया कि प्रथम बाघ विस्थापन घटना रणथम्भोर अभ्यारण्य  से बाघ सुल्तान तथा बबली बाघिन को रणथम्बोर से सरिस्का वन्य जिव अभ्यारण्य  में  स्थांतरित किया
कैलाश सांखला -   इन्हे टाइगर मेन  ऑफ़ इंडिया खा जाता है । इन्हे हालही में2012 में  राजस्थान रत्न दिया गया है
ये भारत में  बाघ परियोजना के जनक है    बाघ परियाजना के प्रथम महानिदेशक थे
रेड डेटा बुक में बाघ का नाम शामिल करने का श्रेय इन्हे ही जाता है 



केवला देव घना पक्षी अभ्यारण्य  -  भरतपुर -- इस वन्य जिव अभ्यारण्य 1956  को बनाया गया
प्राचीन शिव मंदिर के नाम पर इस अभ्यारण्य का नाम पड़ा । यह एशिया कि सबसे बड़ी पक्षियों कि  प्रजनन स्थली है यहा सर्वाधिक मात्रा  में साइबेरियन सारस आते है  यहा पाई जाने  वाली ऐंचा नामक घास में फसकर सबसे अधिक पक्षियों कि मृत्यु हो जाती  है ।   इस अभ्यारण्य को पानी अजान बांध  से मिलता है ।
1985  को इस अभ्यारण्य को  यूनेस्को ने विश्व प्राकृतिक विश्व धरोहर में शामिल किया है ।



मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रिय उधान  -कोटा  झालावाड  9 जनवरी 2012  को राष्ट्रिय उधान बनाने कि अधसूचना  जारी कि  प्रारम्भ में इसका नाम दर्रा वन्य जिव अभ्यारण्य था 2003  में गहलोत सरकार ने इसका नाम राजीव गांधी राष्ट्रीय उधान कर दिया 2006  में वसुंधरा सरकार ने इसका नाम मुकुंदरा हिल्स था इसे राष्ट्रिय उधान बनाने कि घोषणा कि इस राष्ट्रिय उधान में  हीरामन  जाती के गगरौनी  तोते पाये जाते है जो मनुष्य  जैसी आवाज निकालते  है । यह रानी  पद्मनी का प्रिय तोता था ।  इस उधान में अबली मिनी का महल है जिसे राजस्थान का दूसरा ताजमहल कहते है नोट - राजस्थान का ताजमहल जसवंत थड़ा है इस अभ्यारण्य में गुप्तकालीन हुणो  द्वारा निर्मित प्राचीन शिव मंदिर है  



सरिस्का वन्य जिव अभ्यारण्य -अलवर राजस्थान कि दूसरी बाघ परियोजना  1978 में प्रारम्भ कि गई यह अभ्यारण्य NH 11  पर स्थित  है था स्वर्ण त्रिकोण  पर स्थित है । इस अभ्यारण्य कि प्रमुख विशेषता यहा हरे कबूतर पाया जाना है । यहा नीलकंठेश्वर  का मंदिर है । यहा भृतहरि कि तपो स्थली है । जो राजस्थान में कनफटे नाथो कि प्रमुख पीठ है
NOTE -नाथ सम्प्रदाय कि अन्य पीठ -           प्रमुख पीठ -  महा मंदिर जोधपुर             बैरागपंथी  नाथो कि पीठ  - राताड़ूँगा  पुष्कर


                                                                                                                                                              बंध बरैठा -भरतपुर इसे परिंदो का घर  कहा  है ।यह जरखो के लिए प्रसिद है ।  यहा  वर्त्तमान में       पान कि खेती होती है । मुग़ल काल में यहा नील कि खेती होती थी          
NOTE -मोरासागर राजस्थान का दूसरा स्थान है जहा पान  कि खेती होती है । पान  के खेत को बजैड़ा कहते है । पान कि खेती करने वाली जाती को तमोली कहते है 



राष्ट्रीय मरू उधान -जैसलमेर ,बाड़मेर  में स्थित है । यह राजस्थान का क्षेत्रफल कि दृष्टि से सबसे बड़ा वन्य जीव अभ्यारण्य है । अभ्यारण्य का क्षेत्रफल 3162 किमी है।  यहाँ पर राज्य पक्षी गोडावण पाया जाता है।
NOTE -गोडावण राजस्थान में तीन स्थानो पर पाया जाता है। 1. सोरसन -बारां 2. संखलिया -अजमेर
आकलवुड पार्क जैसलमेर में है।  यहा चूहे के दांत के अवशेष मिले है। इस उधान के क्षेत्र में लगभग 60  किमी
लम्बी सेवण  घास कि पट्टी है। सेवण  घास का स्थानीय नाम लिलोण है। इस उधान में पश्चिम राजस्थान का सबसे जहरीला सांप पीवणा पाया जाता है।




गजनेर वन्य जीव अभयारण्य -बीकानेर प्रमुख विशेषता यहाँ बटबड पक्षी पाया जाता है। जिसे रेत का तीतर  कहा  जाता है।  वैज्ञानिक नाम सैडगाउन   है।




तालछापर - चुरू -पुराना नाम द्रोणपुर। इसकी प्रमुख विशेषता काले हरिण  है राजस्थान कि अत्यंत नरम घास मोचिया साइप्रस रोटेण्डस पाई जाती है। कुरंजा पक्षी भी पाये जाते है NOTE -राजस्थान में कुरंजा पक्षी सर्वाधिक खींचन गाँव जोधपुर में है।  तालछापर  खारे पानी कि झील है।


नाहरगढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य -जयपुर -यहा राज्य का प्रथम व भारत का दूसरा  जैविक उधान स्थापित किया गया है। यहा भारत का तीसरा बियर रेस्क्यू सेंटर  स्थापित किया गया है।



कुम्भलगढ़  वन्य जीव अभ्यारण्य -राजसमंद पाली अजमेर  -यह भेड़िये कि प्रजनन स्थली है।यह राजस्थान का एकमात्र अभ्यारण्य है जिसका पानी बंगाल की खाड़ी  में तथा अरब सागर में जाता है। रणकपुर के जैन मंदिर मथाई नदी पर आदिनाथ  को समर्पित है।







माउन्ट आबू वन्य जीव अभ्यारण्य - सिरोही - यह अभ्यारण्य जंगली मुर्गो के लिए प्रसिद  है।





जयसमंद वन्य जीव अभ्यारण्य -उदयपुर -सर्वाधिक बघेरे पाये जाते है। जलचरो कि बस्ती है।




फुलवारी कि नाल - उदयपुर  देश का प्रथम ह्यूमन एनाटॉमी पार्क कि स्थापना मानसी  वाकल का उद्गम स्थल और सोम नदी इसमें से प्रवाहित होती है। NOTE -देश कि प्रथम पेयजल आधारित जल सुरंग परियोजना  मानसी  वाकल  परियोजना है। 



बस्सी अभ्यारण्य - चितोडगढ़ -यहा बाघ विचरण करते थे  ओरई व बामनी नदियो का उदग्म  स्थल है।






सीता माता वन्य जीव अभ्यारण्य -प्रतापगढ़  -सर्वाधिक जैव विविधता वाला अभ्यारण्य है। हिमालय पर्वत के बाद में सावधिक ओषधीय पौधे यही पाये जाते है।  इस अभ्यारण्य को चीतलों कि भूमि खा जाता है।
यहा सागवान के वैन मिलते है। यह उड़न गिलहरियों के के लिए प्रसिद है  जो महुआ पेड़ कि कोटरों में पाई जाती है। यहा लव -कुश नाम के दो झरने है




जवाहर सागर वन्य जीव अभ्यारण्य - कोटा -सर्वाधिक मगरमच्छ पाये जाते है उतर भारत का प्रथम सर्प उधान इसी अभ्यारण्य में है। राजस्थान कि प्रथम विष प्रयोगशाला  है  दूसरा सर्प उधान भरतपुर में स्थापित किया जायेगा 



राष्ट्रिय चम्बल घड़ियाल अभ्यारण्य -उत्तरप्रदेश- मध्यप्रदेश-राजस्थान -इसे घड़ियालों का संसार कहते है।
यह राजस्थान का एकमात्र अंतर्राजीय अभ्यारण्य है। जो राजस्थान ,मध्यप्रदेश ,उत्तरप्रदेश  में फैला है।
इस अभ्यारण्य कि अन्य विशेषता -यहा डॉल्फिन मछली {गांगियांसूंग }पायी जाती है। 



सज्ज्नगढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य -उदयपुर -यह राजस्थान का सबसे छोटा अभ्यारण्य है। यह नील गाय ,लोमड़ी के लिए प्रसिद है। इसका क्षेत्रफल 5. 19 किमी है




शेरगढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य  - बारां -इसे सांपो कि शरणस्थली कहा जाता है। इसमें से परवन नदी प्रवाहित होती है।




रामगढ विषधारी वन्य जीव अभ्यारण्य -बूंदी -राजस्थान में बाघ परियोजना के अलावा झा बाघ स्व्तंत्र रूप से विचरण करते देखे जा सकते है।



टॉडगढ़ रावली वन्य जीव अभ्यारण्य -पाली राजसमंद  अजमेर -यह तीन जिलो में फैला है। इस अभ्यारण्य में टॉडगढ़ किला स्थित है।





भैसरोडग़ढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य -चितौड़गढ़ -


जमुवायरामगढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य -जयपुर - इस भयारण्य में रामगढ़ झील स्थित है जिसमे 1982 के एशियाई खेलो के दोरान रामगढ़ झील में नौकायन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।



केसरबाग  -धोलपुर 


राम सागर -धोलपुर 

वनविहार -धोलपुर 

कनकसागर पक्षी अभ्यारण्य -बूंदी 

कैलादेवी वन्य जीव अभ्यारण्य - करौली 





राजस्‍थान के नए मंत्री

 राजस्‍थान के नए  मंत्री



मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे                                                                                                                                                                                   वित्‍त, पर्यटन, कार्मिक, प्रशासनिक सुधार, संप्रदा, सांख्‍ियकी,आबकारी                                                     नगरीय विकास,  श्रम, सैनिक कल्‍याण, देवस्‍थान, प्‍लानिंग



 गुलाबचंद कटारिया                              ग्रामीण विकास और आपदा प्रबंधन 

  राजेन्द्र राठौड़                                       चिकित्सा एवं स्वास्थ्य 

  नंद लाल मीणा                                     जनजाति विकास विभाग 

 कालीचरण सराफ                                   शिक्षा मंत्री 

 यूनुस खान                                              पीडब्ल्यूडी मंत्री

राजेन्द्र सिंह खींवसार                                ऊर्जा मंत्री

प्रभुलाल सैनी                                       कृषि विभाग

कैलाश मेघवाल                                        खान मंत्री

अरुण चतुर्वेदी                                सामाजिक न्याय 

 अजय सिंह                                    सहकारिता मंत्री

 हेमसिंह भडाना                                खाद्य आपूर्ति मंत्री

सांवरलाल जाट                             जल संसाधन विभाग

अजयसिंह किलक                         सहकारिता मंत्री